नई दिल्ली: केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक अलग तरह के प्रस्ताव को लाने पर विचार कर रही है। इसके तहत सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक केंद्रीय कर्मचारियों को होनेवाले वेतन वृद्धि का 50 फीसदी हिस्सा ही हाथ में आएगा। यानी जो उनके वेतन में बढ़ोतरी हुई होगी उसका पचास फीसदी हिस्सा ही उन्हें मिलेगा।
दरअसल निवेश को प्रोत्साहित करने के मद्देनजर प्रस्ताव के तहत केंद्र सरकार बाकी की 50 फीसदी राशि को दो साल के लिए बैंक कैपिटलाइजेशन बॉन्डस के रूप में निवेश करना चाहती है। ऐसा केवल ज्यादा आय वाले केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के साथ ही लागू हो सकता है। सरकार के इस प्रस्ताव से बॉन्ड की रकम का इस्तेमाल बैकों के लिए पूंजा मुहैया कराने में मददगार साबित होगी तो दूसरी तरफ सरकारी खजाने में भी इस मद में ज्यादा अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। जाहिर है कि इससे बैंकों को एक तरफ पूंजी को लेकर मदद मिलेगी तो दूसरी तरफ सरकारी खजाने पर बोझ भी कम पड़ेगा। ऐसा होने पर ऊंची आय वाले केंद्रीय कर्मचारियों के हाथ में कम कैश आएगा लेकिन बॉन्डस में निवेश करने पर उन्हें इनकम टैक्स में छूट मिलेगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस प्रस्ताव के मुताबिक कम सैलरी वाले कर्मचारियों यानी 5200 से लेकर 20,200 रुपये के ब्रैकेट में आनेवालों और पेंशनभोगियों को यह छूट होगी कि वह चाहें तो इसे बैंक रीकैपिटलाइजेशन की योजना में निवेश करें या फिर नहीं करें। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस प्रस्ताव पर गुरुवार को शुरुआती बैठक में चर्चा भी हुई है। अधिकारी के मुताबिक सरकार सभी विकल्पों पर विचार कर रही है।  अधिकारी के मुताबिक प्रस्ताव में कहा गया है कि इनकम टैक्स एक्ट के एक प्रावधान के तहत 2016-17 और 2017-18 में वेतन आयोग के तहत अतिरिक्त वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों को टैक्स में छूट मिलनी चाहिए, बशर्ते जिस रकम पर छूट मिले उसे बैंक रीकैपिटलाइजेशन स्कीम में निवेश किया जाए। गौर हो कि केंद्र सरकार से सातवें वेतन आयोग ने सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कर्मचारियों के वेतन और भत्ते 23.55 फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की थी और सैनिकों की तर्ज पर असैन्य कर्मचारियों के लिए भी ‘वन रैंक - वन पेंशन’ की व्यवस्था लागू करने की सिफारिश की थी। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी गई वेतन आयोग की रिपोर्ट में मौजूदा कमर्चारियों के मूल वेतन में 16%, भत्तों में 63% और पेंशन में 24% इजाफे की सिफारिश की गई थी। न्यायमूर्ति एके माथुर की अगुवाई वाले इस सातवें वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18 हजार और अधिकतम 2.25 लाख रुपये तय करने की सिफारिश की थी। इसके अलावा आयोग ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में सालाना तीन फीसदी वृद्धि की भी सिफारिश की है।
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